राशियाँ कितनी हैं? राशियों की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

राशियाँ कितनी हैं? राशियों की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

आकाश अंनत होता है। इस ब्रह्माण्ड में अनेक तारा मंड़ल होते हैं। इन्हें आकाश गंगा (Galaxy) कहा जाता है। सूर्य अन्य ग्रहों के साथ इस आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है।

आकाश गंगा में असंख्य तारे हैं। इनमें सूर्य भी एक तारा हैं। सूर्य आकाश गंगा के केन्द्र से 30000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित हैं।

प्रसिद्ध ज्योर्तिविद् वराह मिहिर के अनुसार मानव शरीर में भी एक भचक्र स्थित होता हैं। 12 राशियां शरीर के आंतरिक एवं बाह्य अंगों और तंत्रो को दर्शाती हैं। जन्म के समय स्थित राशियों में ग्रह शारीरिक भचक्र को भी प्रभावित करते हैं। हर राशि एवं ग्रह का अपना प्रभाव होता हैं जो मनुष्य के जीवन काल में दृष्टिगोचर होता हैं। जिस प्रकार भचक्र में 12 राशियां होती है उसी प्रकार जन्म पत्रिका में 12 स्थान होते हैं इन स्थानों को भाव कहा जाता है। जन्म के समय जो ग्रह आकाश में जिस स्थान पर होता है अर्थात भचक्र में जिस राशि में वह होता है उस ग्रह को जन्म पत्रिका में उस राशि में दर्शाया जाता हैं।

 

(1.) *मेष राशि*

(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

 

अंग्रेजी व संस्कृत नाम-अंग्रेजी में मेष राशि को ऐरीज (Aries) कहा जाता है। संस्कत में इसे अज, विश्व, से भी पुकारते हैं।

रूप:-मेष राशि का स्वरूप एक भेड़ जैसा होता है। मेष बलशाली होता है और प्रत्येक से लड़ने भिड़ने को तत्पर रहता है।

स्वभाव :- मेष राशि चर (चंचल) स्वभाव की होती हैं।

स्वामी ग्रह- मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल होता है।

रंग- मेष राशि का रंग लाल हैं।

लिंग- मेष राशि पुल्लिंग हैं।

तत्व:- मेष राशि का तत्व अग्नि है। यह तत्व इस राशि के स्वामी ग्रह मंगल के प्रभाव से होता हैं।

वर्ण- मेष राशि का क्षत्रिय वर्ण हैं। भारतीय वैदिक समाज में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र। ब्राह्मण वर्ण का कार्य वेदों का पठन करना, यज्ञ आदि पूजा कर्म करना व करवाना दान ग्रहण करना व शिक्षा प्रदान करना था। क्षत्रिय वर्ण के लोग अस्त्र व शस्त्र कला में प्रवीण होते थे। वे सामान्यतः देश की सुरक्षा, समाज में नियम व कानुन व्यवस्था को लागु करने व उसके संरक्षण के लिए कार्यरत रहते थे। वैश्य वर्ण का मुख्य उद्देश्य अर्थशास्त्र का ज्ञान व व्यवसाय हुआ करता था। आयात-निर्यात, लेन-देन, खरीदना बेचना, इत्यादि वैश्य वर्ण के लोग किया करते थे। शुद्र वर्ण के लोग सेवा का कार्य, सफाई, नौकरी इत्यादि कार्यों में संलग्न रहते थे।

नक्षत्र :- हर राशि के तीन नक्षत्र होते हैं, अर्थात हर राशि तीन नक्षत्रों की अधिपति होती हैं। हर राशि में कुल नक्षत्रों के नौ चरण होते हैं। एक नक्षत्र में चार चरण होते है। इस प्रकार मेष राशि में अश्विनी नक्षत्र के चार चरण, भरणी नक्षत्र के चार चरण एवं क त्तिका नक्षत्र का प्रथम चरण समाहित हैं।

शरीर पर प्रभाव-बाह्य शरीर पर मेष राशि सिर को प्रभावित करती हैं। आंतरिक शरीर में मेष राशि मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करती है।

राशि के प्रमुख फल:-

1. साहस, अभिमान और मित्रों के प्रति प्रेम मेष राशि का महत्वपूर्ण प्रभाव होता हैं।

2. मेष राशि के स्वामी मंगल के प्रभाव से व्यक्ति उम्र व क्रोधी प्रकृति का होता है।

बली-रात्रि के समय मेष राशि विशेष बलवान होती हैं। अर्थात किसी व्यक्ति का मेष राशि में रात को जन्म हुआ हो तो उसे (राशि को) बलवान समझना चाहिये।

उदय- मेष राशि का उदय पृभठ से होता है।

प्रकृति :-मेष राशि की प्रकति पित्त होती है।

 

(2). वृषभ राशि 

 (इ, उ, ए, ओ, वा, वी, वु, वे, वो)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम-वृषभ राशि को अंग्रेजी में टॉरस (Taurus) कहते हैं। संस्कृत में इसे उभ, गौ, ताबरू, गोकुल व मित्य आदि कहते हैं।

रूप :- वृषभ राशि का रूप बैल के समान होता है।

स्वभाव :- वृषभ राशि स्थिर स्वभाव की होती है।

स्वामी ग्रह-वृषभ राशि का ग्रह स्वामी शुक्र होता है।

रंग :- वृषभ राशि का श्वेत वर्ण होता है।

दिशा :- वृषभ राशि दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करती है।

लिंग:-वृषभ राशि स्त्रीलिंग हैं।

निवास स्थान-वृषभ राशि ऐसे स्थानों पर रहती है जो जल से भरे हो। घास व तृण के मैदान भी इस राशि में निवास स्थान होते हैं।

तत्व :-वृषभ राशि का तत्व पृथ्वी है। इसे अर्थ जल राशि भी माना जाता है।

वर्ण:-वृषभ राशि वैश्य वर्ण की द्योतक हैं। मतान्तर से इसे ब्राह्मण भी माना जाता हैं।

नक्षत्र :-कृतिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चार चरण एवं मगशिरा के दो चरण वृषभ राशि में समाहित होते हैं।

शरीर पर प्रभाव :- बाह्य शरीर में वृषभ राशि चेहरे एवं मुख मंडल को प्रभावित करती है। आतंरिक शरीर में वृषभ राशि का कंठ पर प्रभाव होता है।

राशि के प्रमुख फल :-

1. होती हैं। वृषभ राशि शीतल स्वभाव की एवं कान्ति रहित

2. वृषभ राशि का प्राकृतिक स्वभाव स्वार्थी, समझ कर कार्य करना एवं सांसारिक कार्यों में दक्ष होती हैं।

3. वृषभ राशि का अर्थ है बैल, अतः यह राशि वाले व्यक्ति बैल के सामन मजबूत, शक्तिशाली, भार वहन करने में समर्थ और ताकतवर होते है।

बली:- वृषभ राशि रात्रि में बली (शक्तिशाली) होती है।

उदय:-वृषभ राशि का उदय विषम होता है।

प्रकृति:-वात्त प्रकृति वृषभ राशि वाले व्यक्तियों में होती है।

 

(3.) मिथुन राशि 

(क, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम :-मिथुन राशि को अंग्रेजी में जैमिनी (Gemini) कहते है। इसका संस्कृत नाम द्वन्द, न्युग्य, नतुम, यम, युग, तृतीय एवं विज्ञ हैं।

रूप :-मिथुन राशि का स्वरूप एक स्त्री और पुरुष का जोड़ा हैं। इसमें स्त्री के हाथ में वीणा तथा पुरुष के हाथ में गदा सा प्रतीत होता है।

स्वभाव:- मिथुन राशि द्विस्वभाव की होती है। अर्थात् चर और अचर दोनों प्रकृति इसमें होती है

स्वामी ग्रह- मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है।

रंग:-मिथुन राशि का रंग हरा होता हैं।

दिशा-मिथुन राशि पश्चिम दिशा की स्वामिनी हैं।

 

लिंग :-मिथुन राशि पुरुष राशि मानी जाती हैं।

निवास स्थान :- मिथुन राशि का उद्यान, जुआ घर अथवा अन्य रमणीय स्थान होते हैं।

तत्व :- मिथुन राशि वायु तत्व की राशि है।

वर्ण:-यह राशि शुद्र वर्ण की होती हैं।

नक्षत्र:- मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, आर्द्रा नक्षत्र के चार चरण एवं पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम तीन चरण मिथुन राशि में समाहित होते हैं।

शरीर पर प्रभाव- बाह्य शरीर में मिथुन राशि मला एवं बाहों का प्रतिनिधित्व करती है। आंतरिक शरीर में यह फेफड़ों एवं वात संबंधी अंगों को प्रभावित करती है।

राशि के प्रमुख फल- 1. मिथुन राशि उष्ण स्वभाव की होती हैं। 2. मिथुन राशि में जन्में जातक को विद्या के प्रति असीम रुचि और शिल्पकला में निपूणता प्राप्त होती है।

बली- यह राशि दिन में बली होती है।

उदय :- मिथुन राशि का उदय शीर्ष से होता है।

प्रकति :-मिथुन राशि की त्रिघातु प्रकृति होती है।

 

 

(4).*कर्क राशि*

 (ही, हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम :-कर्क राशि को अंग्रेजी में कैसर (Cancer) कहा जाता है। इसका संस्कृत में कुलीर, कर्नाटक, कर्कट आदि नाम है।

रूप :-कर्क राशि अपने नाम के अनुरूप केकड़े के समान होती हैं।

स्वभाव- कर्क राशि का स्वभाव चर होता है।

स्वामी ग्रह:- कर्क राशि का स्वामी ग्रह चन्द्रमा होता है।

रंग:- कर्क का वर्ण गुलाबी अथवा वेत वर्ण होता है।

दिशा- कर्क राशि उत्तर दिशा की स्वामिनी होती है।

लिंग-कर्क राशि स्त्री लिंग होती है।

तत्व:- कर्क राशि का तत्व जल है।

निवास स्थान :-कर्क राशि का निवास स्थान सुन्दर, छोटे जलाशय, तालाब, पोखर व बावड़ी आदि व उनके किनारे की रेतीली जमीन पर होती है

वर्ण :-कर्क राशि का वर्ण शूद हैं।

नक्षत्र :- पुनर्वसु नक्षत्र के चतुर्य चरण, पुष्य नक्षत्र के चार चरण एवं आश्लेषा नक्षत्र के चार चरणों से यह राशि निर्मित हैं।

शरीर पर प्रभाव :-बाह्य शरीर में कर्क राशि वक्ष स्थल, पेट व गुर्दे का प्रतिनिधित्व करती है आंतरिक शरीर में कर्क राशि हृदय को प्रभावित करती हैं। होते है।

राशि के प्रमुख फल:-

1. जातक प्राकृतिक स्वभाव सांसारिक उन्नति के प्रति सतत् रूप से प्रयत्नशील रहना होता हैं।

2. जातक समय के प्रति अत्यंत सजग होता है।

3. जातक में लज्जा एवं विवेक के प्राकृतिक गुण पाये जाते हैं।

4. कर्क राशि सौम्य होती हैं। केकड़े के समान इसकी

प्रकृति बाहर से कठोर पर आंतरिक रूप से सौम्यता के गुण होते है।

बली :-कर्क राशि रात्रि में बली होती है।

 

उदय-कर्क राशि का उदय पृष्ठ से होता है।

प्रकृति :- कर्क राशि की कफ प्रकृति होती हैं।

 

 

(5.) सिंह राशि 

 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम:-

सिंह राशि को अंग्रेजी में लियो (Leo) कहा जाता है। संस्कृत में इसे कंठीरब, मृगेन्द्र और लेय भी कहते हैं।

रूप :-सिंह राशि का स्वरूप अपने नाम के अनुसार ही भारी आकृति वाले सिंह जैसा होता हैं।

स्वभाव- सिंह राशि स्थिर स्वभाव की होती है।

स्वामी ग्रह :- सिंह राशि का स्वामी सूर्य होता है।

रंग :- पीला रंग सिंह राशि का रंग होता है।

दिशा:-सिंह राशि पूर्व दिशा की स्वामिनी है।

लिंग :- सिंह राशि पुरुष राशि होती हैं।

निवास स्थान :- सिंह राशि का निवास स्थान पहाड़, गुफा तथा वन में होता है।

तत्व :- सिंह राशि अपने स्वामी ग्रह सूर्य के प्रभाव से अग्नि तत्व की होती हैं।

वर्ण :- सिंह राशि क्षत्रिय वर्ण का प्रतिनिधित्व करती है।

नक्षत्र :-सिंह राशि में मघा नक्षत्र के चार चरण, पूर्व फाल्गुनी के चार चरण एवं उत्तरा फाल्गुनी का एक चरण समाहित हैं।

शरीर पर प्रभाव-सिंह राशि बाह्वा शरीर में पेट एवं पाचन शक्ति को प्रभावित करती है।

आंतरिक शरीर में यह हृदय से संबंध रखती है।

राशि के प्रमुख फल-

1. सिंह राशि के प्रभाव से जातक का शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है।

2. सिंह राशि का प्रमुख गुण स्वतंत्रता प्रिय एवं उदारता

3. सिंह राशि भ्रमणशीलता का द्योतक हैं।

बली:- सिहं राशि दिन में बली होती है।

प्रकृति-सिंह राशि पित्त प्रकृति वाली होती है।

 

 

(6.) *कन्या राशि*

 (टो, पा, पी, पू, भा, ण, ठ, पे, पो)

 

अंग्रेजी व संस्कृत नाम :-कन्या राशि को अंग्रेजी में विरगो (Virgo) कहते हैं। संस्कृत में इसे पायोन, कन्या, रमणी और तरूणी नाम से भी पुकारते हैं।

रूप:-कन्या राशि का स्वरूप एक कन्या के रूप में होता है जो नौका विहार कर रही हो। कन्या हाथ में धान और अग्नि लिये हुए बैठी हैं।

स्वभाव :- यह द्विस्वभाव वाली राशि हैं।

स्वामी ग्रह-कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है।

रंग :- यह राशि हरे रंग के वर्ण की होती हैं।

दिशा :-कन्या राशि दक्षिण दिशा की स्वामिनी हैं।

लिंग स्त्री

निवास स्थान :-कन्या राशि का निवास स्थान घास व दुब वाली हरी-भरी भूमि मानी जाती हैं।

तत्व :- कन्या राशि का तत्व पृथ्वी हैं।

वर्ण- कन्या राशि का शूद्र वर्ण होता है।

नक्षत्र- कन्या राशि उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अंतिम तीन चरण, हस्त नक्षत्र के चार चरण, एवं चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों से बनी हैं।

शरीर पर प्रभाव :- बाह्य शरीर में कन्या राशि कमर को प्रभावित करती हैं। आंतरिक शरीर में यह आंतों एवं पेट के निचले भाग को प्रभावित करती है।

राशिफल:-

1. यह अल्प संतान वाली राशि है।

2. कन्या राशि वाले जातक की वायु एवं शीत प्रकृति होती हैं।

3. जातक अपने आत्म सम्मान का विशेष ध्यान रखता हैं।

4. विद्या व्यसनी एवं शिल्प दक्षता इस राशि के प्रमुख गुण हैं।

5. अपनी उन्नति इस राशि के लिये सर्वोपरी होती हैं।

बली :- कन्या राशि रात्रि में बली होती है।

उदय :- कन्या राशि का उदय शीर्ष से होता हैं।

प्रकृति- कन्या राशि वाले जातक की वायु एवं शीत प्रकृति होती

 

(7 )*तुला राशि* :-

(रा, री, रु, रे, रो, ता, ती तू, ते)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम :-

तुला राशि को अंग्रेजी में लिया (Libra) कहते हैं। संस्कृत में इसे तौलि, वणिक, जुक व घट के नाम से भी पुकारते हैं।

रूप-तुला राशि का स्वरूप अपने हाथ में तराजू रखे पुरुष जैसा होता है।

स्वभाव- यह चर संज्ञक राशि हैं।

स्वामी ग्रह- तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक्र होता है।

रंग :- तुला राशि का रंग चित्र होता है।

दिशा :- यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी हैं।

लिंग :-यह पुल्लिंग राशि होती हैं।

निवास स्थान :-तुला राशि का निवास स्थान अपने स्वरूप में अनुकूल व्यापारिक स्थल जैसेः बाजार अथवा दुकान में होता है।

तत्व:-तुला राशि वायु तत्व वाली होती है।

जाति वर्ण :-तुला राशि का वर्ण शुद्र होता है।

नक्षत्र :-चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, स्वाति नक्षत्र के चार चरण एवं विशाखा नक्षत्र के प्रथम तीन चरण तुला राशि में समाहित हैं।

शरीर पर प्रभाव :- शरीर में तुला राशि नाभि के नीचे के अंगो को प्रभावित करती है।

राशिफल:-1. यह विषम राशि, अल्प सन्तति एवं ग्राम वर्ण होती हैं। 2. तुला राशि असाधारण रूप से संतुलन बनाये रखने के लिए विख्यात हैं।

3. राशि के प्रभाव से विचारशीलता, गायन चिन्तन, कार्य सम्पादन में निपुणता होती हैं।

 

बली :-तुला राशि दिन में बली होती है।

उदय :- तुला राशि का उदय शीर्ष से होता है।

प्रकृति:-तुला राशि की त्रिधातु प्रकृति होती हैं।

 

 

(8.)*वृश्चिक राशि*

 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम :-वृश्चिक राशि को अंग्रेजी में स्कॉपियो (Scorpio) कहते हैं। संस्कृत में इसे अलि, अष्टम, कौपि एवं कर भी कहते हैं।

रूप :- वृश्चिक राशि अपने नाम के अनुरूप एक बिच्छु के स्वरूप वाली होती है।

स्वभाव- यह स्थिर राशि मानी जती है

स्वामी ग्रह- इसका स्वामी मंगल ग्रह होता है।

रंग- वृश्चिक राशि का रंग शुभ (श्वेत) होता है। मतान्तर से वृश्चिक राशि का रंग स्वर्ण जैसा भी माना जाता है।

दिशा- वृश्चिक राशि उत्तर दिशा की स्वामिनी होती हैं।

लिंग- वृश्चिक राशि स्त्रीलिंग होती हैं।

निवास स्थान-इस राशि का निवास स्थान पथरिली जमीन एवं गुफाएं इत्यादि होती हैं।

तत्व-वृश्चिक राशि का तत्व जल होता है।

वर्ण- वृश्चिक राशि ब्राह्मण वर्ण की होती है।

नक्षत्र :- वृश्चिक राशि में विशाखा नक्षत्र का अंतिम चरण,अनुराधा के चार चरण एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के चार चरण से बनती है।

शरीर पर प्रभाव- शरीर में वृश्चिक राशि गुदा, मूत्रेन्द्रिय और जनेनन्द्रिय को प्रभावित करती है।

राशिफल-1. वृश्चिक राशि के प्रभाव से जातक जिद्दी होता है।

2. वृश्चिक राशि में जन्मा जातक स्पष्टवादी होता है।

3. वृश्चिक राशि में उत्पन्न जातक मन से साफ निश्चय वाला होता है। एवं दृढ़

बली- वृश्चिक राशि दिन में बली होती हैं।

उदय-वृश्चिक राशि का उदय शीर्ष से होता हैं।

प्रकृति- वृश्चिक राशि की कफ प्रकृति होती है।

 

(9 ) *धनु राशि*-  (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, , मे)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम- धनु राशि को अंग्रेजी में सेजिटेरियस (Sagitarius) कहते हैं। एंव संस्कृत में धन्वी, चाप और शरासन कहते हैं।

रूप-धनु राशि का स्वरूप एक ऐसे जीव का रूप हैं जो कमर के ऊपर मनुष्य हैं और उसके हाथों में धनुष है और

कमर से नीचे घोड़े के रूप में है। स्वभाव- धनु राशि द्विस्वभाव राशि हैं।

स्वामी ग्रह - धनु राशि का स्वामी ग्रह गुरू (बृहस्पति) होता है।

रंग- धनु राशि का कंचन (सुनहरा) वर्ण हैं।

दिशा- यह पूर्व दिशा की स्वामिनी हैं।

लिंग-धनु राशि पुरूष राशि हैं।

निवास स्थान- धनु राशि का निवास स्थान राजा का महल, अश्वशाला, राज्य स्थान, दरबार इत्यादि होता हैं।

तत्व- धनु राशि का तत्व अग्नि हैं।

वर्ण-धनु राशि का वर्ण क्षत्रिय होता है।

नक्षत्र- धनु राशि मूल नक्षत्र के चार चरण, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चार चरण एवं उत्तराषाढा नक्षत्र के प्रथम एक चरण से बनती है।

शरीर पर प्रभाव-धनु राशि बाह्य शरीर में जांघे एवं कुल्हे को प्रभावित करती है।

आंतरिक शरीर में यकृत, स्नायु मंडल एवं रक्त वाहिकाओं (Artries & Venis) को प्रभावित करती है।

राशिफल-1. धनु राशि के जातक का दृढ़ शरीर होता है।

2. धनु राशि के जातक करूणा एवं मर्यादावान होते

3. धनु राशि अधिकार प्रियता का 3.  बोध करती है।

बली-धनु राशि रात्रि में बली होती है।

उदय- धनु राशि का उदय पृष्ठ से होता है।

प्रकृति- धनु राशि पित्त प्रकृति वाली होती है।

 

(10.) मकर राशि:-(भो, जा, जी, खी, खु, खे, खो, , गी)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम :-

मकर राशि को Transfer में केपरीकान (Capricom) कहते है। मकर राशि को संस्कृत में मृग, मृगास्य, और नक्र नाम से पुकारते हैं।

रूप- मकर राशि हिरण के समान मुख वाले मगर स्वरूप की होती हैं।

स्वभाव- मकर राशि चर (चंचल) राशि होती है।

स्वामी ग्रह- मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि होता हैं।

रंग-मकर राशि पिंगल वर्ण होती हैं। श्वेत रंग में पीलापन लिये हुए इसका रंग होता है।

दिशा- मकर राशि दक्षिण दिशा की स्वामिनी हैं।

लिंग- मकर राशि स्त्रीलिंग मानी जाती है।

निवास स्थान- मकर राशि का निवास स्थान जल वाली जगह अथवा जंगल मानी जाती है।

तत्व- मकर राशि का तत्व पृथ्वी है।

वर्ण- मकर राशि वैश्य वर्ण की होती है।

नक्षत्र- मकर राशि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अंतिम तीन चरण, पुष्य नक्षत्र के चार चरण एवं घनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम दो चरणों से बनती है।

शरीर पर प्रभाव- बाह्य शरीर में मकर राशि घुटनों को प्रभावित करती हैं। आंतरिक शरीर में यह हड्डियों तथा जोड़ों पर प्रभाव डालती है।

राशिफल- 1. मकर राशि उत्तरोत्रर प्रगति की द्योतक होती हैं।

2. मकर राशि में जन्में जातक का दृढ़ शरीर होता है।

3. मकर राशि में उत्पन्न जातक महत्वाकांक्षी होता

बली- मकर राशि रात को बली होती है।

उदय- मकर राशि का पृष्ठ से उदय होता है।

प्रकृति- मकर राशि की प्रकृति वात्त प्रधान होती हैं।

 

(11).*कुंभ राशि* :- (गू, गे, गो, सा, सी, सु, से, सो, दा)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम- कुंभ राशि का अंग्रेजी नाम एक्वेरियस (Aquarius) हैं। संस्कृत में कुंभ राशि को कुम्भघट व तोयघर भी कहते हैं।

रूप- कुंभ राशि का स्वरूप एक पुरूष जैसा है जिसके कंधे पर कुंभ (कलश) हैं।

 स्वभाव - कुंभ राशि स्थिर संज्ञक होती हैं।

स्वामी ग्रह - कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि हैं।

रंग- कुंभ राशि का वर्ण चितकबरा (नेवले जैसा) होता है।

दिशा- कुंभ राशि पश्चिम दिशा की स्वामिनी हैं।

लिंग- कुंभ राशि पुल्लिंग राशि हैं।

निवास स्थान- कुंभ राशि का निवास स्थान कुम्हार का घर या जल स्थान होते हैं।

तत्व- कुंभ राशि का तत्व वायु है।

वर्ण - कुंभ राशि पुल्लिंग राशि हैं।

निवास स्थान - कुंभ राशि का निवास स्थान कुम्हार का घर या जल स्थान होते हैं।

तत्व -कुंभ राशि का तत्व वायु हैं।

वर्ण - कुंभ राशि का शुद्ध वर्ण होता है।

नक्षत्र - कुंभ राशि घनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, शतभिषा नक्षत्र के चार चरण एवं पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम तीन चरण से बनी हैं।

शरीर पर प्रभाव - बाह्य शरीर पर कुंभ राशि पिंडलियों को प्रभावित करती

आतंरिक शरीर में कुंभ राशि रक्त तथा प्रवाह को प्रभावित करती हैं।

राशिफल -1. कुंभ राशि में उत्पन्न जातक विचार में शील, धर्म के प्रति श्रद्धा रखने वाला व शांत प्रकृति का होता है।

2. नवीन बातों के प्रति उत्सुकता एवं नये आविष्कार कुंभ राशि का सहज स्वभाव होता है।

बली-कुंभ राशि दिन में बलवान मानी गयी हैं।

उदय-कुंभ राशि का उदय शीर्ष से होता है।

प्रकृति -कुंभ राशि में तीनों प्रकृति-वात्त, पित्त एवं कफ पाये जाते

 

(12.) *मीन राशि* :- ( दी, दु, , , , दे, दो, चा, ची)

अंग्रेजी व संस्कृत नाम - मीन राशि को अंग्रेजी में पीसेस (Pisces) कहते हैं। मीन राशि को संस्कृत में मत्स्य, अन्त्य, कहते है।

रूप - मीन राशि के स्वरूप में दो मछलियां हैं। इन मछलियों को परस्पर मुख एक दूसरे के पूंछ की तरफ है। देखने में यह इस प्रकार प्रतीत होती है जैसे दो मछलियां गोल घुम रही हों

स्वभाव -मीन राशि द्विस्वभाव राशि होती हैं।

स्वामी ग्रह -मीन राशि का स्वामी ग्रह गुरु (बृहस्पति) हैं।

रंग - मीन राशि का वर्ण पिंगल, वेत मिश्रित (मिला-जुला होता है।

दिशा - मीन राशि उत्तर दिशा की स्वामिनी है।

लिंग- मीन राशि स्त्रीलिंग होती हैं।

निवास स्थान - मीन राशि जल स्थानों में जैसे नदी, तालाब, पोखर,

समुद्र इत्यादि में निवास करती है।

तत्व - मीन राशि का तत्व जल हैं।

वर्ण- मीन राशि ब्राह्मण वर्ण की होती है।

नक्षत्र- मीन राशि पूर्वा भाद्र पद के अंतिम चरण, उत्तरा भाद्रपद के चार चरण एवं रेवती नक्षत्र के चार चरण से बनी हैं।

शरीर पर प्रभाव-

बाह्य शरीर पर मीन राशि पैरों को प्रभावित करती हैं। आंतरिक शरीर में यह कफ का उत्पादन करती है।

राशिफल-1. मीन राशि स्वभाव में दयालुता का प्रभाव लाती हैं।

2. प्रायः मीन राशि में उत्पन्न जातक का चरित्र, गुण एवं लक्षण उत्तम होते हैं।

बली- मीन राशि रात्रि बली होती हैं।

उदय-मीन राशि का उदय उभय से होता है।

प्रकृति- मीन राशि की कफ प्रकृति होती है।

 

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